नारी विमर्श >> संगे सबूर संगे सबूरअतिक् रहिमी
|
8 पाठकों को प्रिय 334 पाठक हैं |
अफ़गानी मूल के फ्रांसीसी लेखक अतिक् रहिमी इस उपन्यास में संसार की उन असंख्य औरतों की जुबान को हरकत दे रहे हैं जो सदियों से ख़ामोश हैं
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: common
Filename: books/book_info.php
Line Number: 553
|
लोगों की राय
No reviews for this book